Subscribe Us

इंदौरा के टप्पा गांव के जंगल में वन बिभाग के ठेकेदारो ने कटान की परमीशन की आड़ में मलकीयती भूमि के साथ साथ वन बिभाग की भूमि से भी अबैध रूप में काट डाले दर्जनों खैर के पेड

गगन ललगोत्रा (इंदौरा)
इन्दौरा के टप्पा गांव में खैर तस्करों ने काट डाले अवैध रूप से खैर के पेड़ बिना नम्बरिंग लगे और बिना अनुमति के सरकारी व मालकाना भूमी से काटे खैर के पेड़ कटान का नामोनिशान खत्म करने के लिए जड़ से उखाड़े खैर के पेड़
इंदौरा क्षेत्र में वन माफिया के हौसले इतने बुलंद के कि सरेआम अबैध रूप से सरकारी और निजी भूमि से खैर के पेड़ों को काटने में गुरेंज नही कर रहा है। बीते वर्ष भी इंदौरा क्षेत्र में हुए खैर कटान के दौरान कुछ खैर के तस्करो ने परमीशन की आड़ में कई लोगो की निजी जमीनों के साथ साथ वन बिभाग की भूमि से भी लाखों रुपए के कीमती खैर के पेड़ो पर कुल्हाड़ा चलाया था। पर बिभाग ने कार्यबाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की ओर वन माफिया पर कोई बड़ी कार्यबाही होती नही देखी गई और इस वर्ष चल रहे खैर कटान में फिर वन बिभाग के ठेकेदारों द्वारा परमीशन की आड़ में मलकीती भूमि के साथ साथ वन बिभाग की भूमि से सैकड़ों खैर के पेड़ों को काट लिया गया है।
ताजा मामला वन खंड इंदौरा के अधीन पड़ती वन वीट टप्पा में देखने को मिला है यहाँ टप्पा गाँव से मात्र आधा किलोमीटर की दूरी पर जंगल मे देखने को मिला है यहाँ वन बिभाग के ठेकेदारों द्वारा परमीशन की आड़ में मलकीयती भूमि से कई दर्जनों खैर के बड़े बड़े पेड़ो पर आरा चला पेड़ो को चपत कर लिए गया है इसी मलकीयती भूमि के आसपास वन बिभाग का जंगल भी है इस वन माफिया द्वारा सरकारी जंगल से भी लाखों रुपए कीमत की खैर की लकड़ी को काट लिया गया है। यही नही इस कटान बाली जगह से खैर माफिया ने गड्ढे खोदकर खैर के पेड़ों को जड़ से उखाड़कर उस जगह से खैर काटे जाने का नामोनिशान भी मिटाने की कोशिश की है और कई जगह में तीन से चार चार फुट गड्ढे उसी तरह पड़े हुए है। स्थानीय लोगो का कहना है कि उसके क्षेत्र में ओर भी कई जगह इस तरह से वन माफिया द्वारा अबैध कटान को अंजाम दिया गया है। स्थानीय लोगो ने बताया कि यह सब अबैध रूप से जो ठेकेदारों द्वारा खैर कटवाया जा रहा है
यह वन बिभाग के फील्ड कर्मचारियों और वन बिभाग की मिलीभगत से ही काटा जा रहा है अगर कोई व्यक्ति अबैध कटान के खिलाफ आबाज उठाता है तो वन बिभाग के पास यही एक जबाब सुनने को मिलता है कि इस कटान की जीमींदार ने परमीशन ली हुई है और तभी यह पेड़ ठेकेदारों द्वारा काटे जा रहे है ।बड़ी हैरानी की बात है कि क्या वन वीट के वन रक्षक को इस बारे में पता ही नही जिसका की रोजाना फील्ड में लगे कटान में आना जाना रहता है। टप्पा में इस जगह में जितने भी सरकारी और निजी भूमि से खैर के पेड़ काटे गए है उनमें काटे गए एक भी पेड़ पर वन बिभाग द्वारा कोई भी नम्बरिंग नही लगाई गई है।अब देखना यह है कि वन बिभाग के आलाधिकारी इस अबैध खैर कटान मामले में शामिल निजी खैर ठेकेदार पर कोई कार्यबाही करता है जाफिर वीते वर्षो की तरह ना मात्र की कार्यबाही कर जांच को ठंडे बस्ते में डालकर फिर सरेआम इस वन माफिया ठेकेदारों द्वारा अपनी सरकारी वन संपदा को अबैध रूप से काटे जाने का बैठकर आनंद लेता देखता रहता है। लोगो ने वन मंत्री और बिभाग के उच्च अधिकारियों से इस खबर के माध्यम से अपील की है कि टप्पा में हुए इस अबैध खैर कटान की सख्ती से जांच करबाई जाए और इन ठेकेदारों ओर जमीन के मालिकों से इस खैर कटान की परमिशन चैक की जाए और इस जगह के आस पास वन बिभाग की जगह से काटे गए दर्जनों खैर के पेड़ों की भी जांच पड़ताल करके खैर माफिया के खिलाफ बनती कानूनी कार्यबाही अमल में लाई जाए
इस संबंध में जब टप्पा वन वीट के वन रक्षक जतिंदर कुमार ने बात की गई तो उन्होंने कहाँ की मुझे आपके माध्यम ने टप्पा में खैर के पेड़ काटे जाने का समाचार प्राप्त हुआ है। मैं मौके पर जांच हेतु जा रहा हूं
इस संबंद्ध में जब वन रेंज ऑफिसर भदरोया सुमन लता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैंने अपने वन रक्षक को मौके पर भेजा था जिस जगह से यह पेड़ काटे गए है वो मलकीयती भूमि है और वन पेड़ो को काटने की विभाग द्वारा परमीशन दी गई है।

Post a Comment

0 Comments